लेखनी प्रतियोगिता -25-Jan-2022
विनती एक किसान की प्रभु से
भाँति भाँति के लोगों की हैं, भाँति भाँति की कहानियाँ,
आज खड़ा है विनती करने एक किसान लिए अपनी परेशानियाँ।
हे प्रभु,
अब के बरस मेरी फसल पर, भगवन रखना अपनी बरकत
गरीब की झोली भरी रहे, ना जाये बेकार ये मेहनत।
नहीं फैलाने हाथ आगे किसी के, परिवार का भरने को पेट,
विनती बस है मेरे कर्म की , मुझको मिले बराबर भेंट।
नहीं माँगता अपने खातिर, सूखी रोटी खाकर भी जी सकता हूँ,
पर बोलो अन्न उगाने वाला मैं, अपने बच्चों को कैसे भूखा रख सकता हूँ।
हे प्रभु,
ज्यादा नही लेकिन बस ,इतनी सी ही विनती है दाता तुझसे,
मेरे हक की छत, रोटी और कपड़ा न छीने अब कोई मुझसे।।
Sudhanshu pabdey
26-Jan-2022 12:05 PM
Very nice 👌
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Shrishti pandey
26-Jan-2022 09:19 AM
Nice
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Abhinav ji
26-Jan-2022 08:59 AM
Bahut badhiya
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